एक बार औरतों ने मर्द के खिलाफ बगावत करके मोर्चा निकाला और ब्रह्मा के पास गयी . . . . .
उन्होने समाज में बराबरी के लिये बहुत सारी माँगें रखी, जैसे . . . . . . .
जिसमें एक माँग ये भी थी कि बच्चे को 9 महीने पेट में हमलोग रखते हैं . . . . . .
तमाम तकलीफ सहकर पैदा करती हैँ और नाम बाप का होता है । ऐसा नहीं चलेगा . . . . . .
लडाई लम्बी चली, समाधान की कोशिश होती रही . . . . . . .
तब जा के कुछ मुद्दों पर समझौता हुआ . . . . .
जिसमें तय हुआ कि बच्चा औरत ही पैदा करेगी लेकिन दर्द बच्चे के बाप को होगा ।. . . . .
अब क्या था इँतजार होने लगा ! . . . . . .
इसी बीच पता चला कि पाण्डेय जी की बीबी को बच्चा पैदा होने वाला है ।. . . . . .
निश्चित तारीख को जनता का हुजूम उमड़ पडा ।. . . . . .
डा. का पूरा पैनल पाण्डेय जी को घेर कर बैठ गया . . . . . . .
उनके दर्द उठने का सब बेसब्री से इंतजार करने लगे. . . . . . .
इसी बीच खबर आई कि गेट के बाहर पाण्डेय जी का ड्राइवर लोट-लोट कर चिल्ला रहा है. . . . . . . .
पूरी जनता और डा. ड्राइवर के पास दौड कर पँहुच गयी ।. . . . . .
डाक्टरो ने बहुत प्रयास के बाद स्थिति को नियन्त्रण में किया । तब जा के बच्चा पैदा हुआ ।. . . . . . .
दूसरे दिन सारी औरतेँ दुबारा ब्रह्मा के पास गयी . . . . . . . . .
अपनी गलती मानी और बोली कि जैसा पहले चल रहा था चलने दीजिए . .
😄:D😜
सूचना जन हित में जारी।
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