एक छोरे का ब्याह हो
गया ,
उसकी सुहागरात का
नया कमरा
जल्दबाजी में घर की छत पर
बनवाया था
जिस में दो दरवाजे थे !
दरवाजों पर चौखट तो
थी
पर किवाड़ नहीं चढ़े थे !
.
शादी के बाद जब वो
दुल्हन के पास आया
तो दुल्हन उठ खड़ी हुई और
दूर जा कर दूल्हे को ठेंगा
और जीभ दिखाने लगी ,
क्योंकी उसकी सहेलियों
ने बताया था
कि पहली रात दूल्हे को
खूब तंग करना !
.
छोरा पहले तो
सकपकाया
फिर छोरी को पकड़ने के
लिए भागा !
छोरी भी एक नम्बर की
हरामी थी
वो एक दरवाज़े से निकल कर
बाहर चली जाती
और दूसरे से भीतर…
छोरा पीछे पीछे छोरी
आगे आगे,
कमरे के अन्दर बाहर होते
रहे!!!
.
सुबह तक यही ड्रामा
चलता रहा
पर वो ‘कबूतरी’ हाथ नहीं
आई!!!
.
छोरा थक हार कर
सीढ़ीयों पर बैठ गया!!!
.
उसका बाबू सुबह सुबह जब
सोकर उठा और
बेटे को बाहर बैठा देखा
तो बोल्या –
.
“रै तू बाहर मुंह लटकाए क्यूं
बैठा सै???”
,
छोरा चुप !
.
”बोलता क्यूं नहीं …..
के बात हो गी???”
,
,
छोरा छोह में आके
बोल्या –
.
“बाबू!
या तो कमरे में किवाड़
चढ़वा दे
या फेर बहु पकड़वा दे ।।।।।
गया ,
उसकी सुहागरात का
नया कमरा
जल्दबाजी में घर की छत पर
बनवाया था
जिस में दो दरवाजे थे !
दरवाजों पर चौखट तो
थी
पर किवाड़ नहीं चढ़े थे !
.
शादी के बाद जब वो
दुल्हन के पास आया
तो दुल्हन उठ खड़ी हुई और
दूर जा कर दूल्हे को ठेंगा
और जीभ दिखाने लगी ,
क्योंकी उसकी सहेलियों
ने बताया था
कि पहली रात दूल्हे को
खूब तंग करना !
.
छोरा पहले तो
सकपकाया
फिर छोरी को पकड़ने के
लिए भागा !
छोरी भी एक नम्बर की
हरामी थी
वो एक दरवाज़े से निकल कर
बाहर चली जाती
और दूसरे से भीतर…
छोरा पीछे पीछे छोरी
आगे आगे,
कमरे के अन्दर बाहर होते
रहे!!!
.
सुबह तक यही ड्रामा
चलता रहा
पर वो ‘कबूतरी’ हाथ नहीं
आई!!!
.
छोरा थक हार कर
सीढ़ीयों पर बैठ गया!!!
.
उसका बाबू सुबह सुबह जब
सोकर उठा और
बेटे को बाहर बैठा देखा
तो बोल्या –
.
“रै तू बाहर मुंह लटकाए क्यूं
बैठा सै???”
,
छोरा चुप !
.
”बोलता क्यूं नहीं …..
के बात हो गी???”
,
,
छोरा छोह में आके
बोल्या –
.
“बाबू!
या तो कमरे में किवाड़
चढ़वा दे
या फेर बहु पकड़वा दे ।।।।।