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Sunday 11 October 2015

Social Animal

इंसान की समझ बस इतनी है,जब उसे जानवर कहा जाये तो वो नाराज़ हो जाता है

और उसे शेर कहा जाये तो खुश हो जाता है

हालाँकि शेर भी जानवर ही होता है.

Today's dose of laughter

गांव की एक औरत ने तेजी से आ रही बस को हाथ दिखाकर रोका

ड्राइवर ने अचानक ब्रेक मारा और पूछा- कहां जाना ह ै

औरत बोली- जाना कहीं नहीं है....बच्चा रो रहा है जरा पों-पों बजा दो...


मास्टर –दो में से दो गए कितने बचे ?
सरदार—समझ में नहीं आया
मास्टर जी
मास्टर—बेटा समझो तुम्हारे पास
दो रोटी हे,
तुमने वो दो रोटी खा ली बताओ तुम्हारे पास क्या बचा
सरदार–  ” सब्जी ”


सवाल- बेबस लाचार होना किसे कहते है?

जवाब- आस्था चैनल चल रहा हो और रिमोट खो जाय


Teacher -किसी ऐसी जगह का नाम बतायो जहां पर बहुत सारे लोग हों फिर भी तुम अकेला महसूस करो?

Student -Examination Hall

Teacher -बेहोश


मास्टर जी एक होटल में ख़ाली कटोरी में रोटी डुबो-डुबो कर खा रहे थे।
वेटर ने पूछा: मास्टरजी ख़ाली कटोरी में कैसे खा रहे हैं?
मास्टर जी : भइया, हम गणित के अध्यापक हैं। दाल हमने ‘मान ली’ है।


पापाः बेटा तुम्हारे रिजल्ट का क्या हुआ?
पप्पुः पापा 80% आये है ।
पापाः पर मार्कशीट पर 40% लिखा है?

पप्पूः बाकी के 40% आधारकार्ड लिंक होनेपर सीधे अकाऊंट में आएंगे।

पापा बेहोश..

Jajpur wala haal

एक बंदूकधारी जाट घोड़े पर सवार हो कर अपनी यात्रा के दौरान एक जगह चाय
पीने के लिये रुका।
:
उसने अपना घोड़ा चाय के होटल के पास एक पेड़ से बांध दिया और
अंदर चाय पीने चला गया।
:
जब वह लौटा तो पाया कि उसका घोड़ा जगह पर नहीं है। किसी ने उसे
चुरा लिया था।

जाट ने बंदूक से एक हवाई फायर दागा और चिल्ला चिल्ला कर कहने
लगा - "जिसने भी मेरा घोड़ा चुराया है वो सुन ले! मैं एक चाय और पीने
अंदर जा रहा हूं। इस बीच अगर मेरा घोड़ा वापस जगह पर नहीं मिला तो याद रखना ..। इस जगह का वही हाल
करूंगा जो घोड़ा चोरी होने पर मैंने जयपुर में किया था!"
:
:
चाय पीकर जाट जब लौटा तो उसका घोड़ा अपनी जगह पर वापस
बंधा था। :
वह उसपर सवार होकर चलने लगा
.....तभी होटलवाले ने आवाज देकर उसे रोका - "चौधरी साब,
जरा वो किस्सा तो सुनाते जाओ । जयपुर में आखिर आपने
क्या किया था ?"
: :
जाट :- "करना क्या था! वहां से पैदल ही चला गया था!"

Perfect driving

एक बार गाँव का सरदार गाड़ी में अपने मित्रों के साथ पिकनिक पर जा रहा था।



गाड़ी के सामने के काँच से मित्रों को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। लेकि सरदार सड़क के तमाम गड्ढे बचाता हुआ बड़ी सफाई से गाडी चला रहा था।

मित्रों ने हैरान होकर पूछा-" सरदार, सामने काँच से कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा। फिर भी गाड़ी इतनी परफेक्ट कैसे चला रहे हो ? "
सरदार ---" क्या बताऊँ यारों ? अपनी भूलने की आदत के कारण अब तक मेरे 1760 चश्मे गुम चुके हैं। "

मित्र---" अरे सरदार हम ड्राइविंग के बारे में पूछ रहे हैं। "

सरदार -" वही तो बता रहा हूँ। चश्मे बनवा बनवा कर मैं हैरान परेशान हो गया तब......
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गाड़ी का काँच ही चश्मे के नंबर वाला बनवाकर गाड़ी में लगवा लिया। "