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Wednesday, 26 August 2015

Five thousand

पतनी-सुनो जी मुझे पाँच हज़ार रुपये दे दो


नहीं है ।



तो चार दे दो


नही हैं ।


अच्छा ,आज के बाद मुझे छूना भी मत, बात भी न करना । मेरी तरफ़ देखना भी मत ।
नहीं देखूँगा ।


पाँच हज़ार रुपये राधे अम्माँ के यहाँ चढ़ाऊँगा
वो नाच के भी दिखाएगी
जप्फी वप्फी भी डालेगी
हो सकता है गोद में भी---


पत्नी सुनकर बाहर को जाने लगती है


अब बिन पैसे के कहाँ चली ।


बापू आसाराम के आश्रम जा रही हूँ
सुना है बापू की गैरहाजरी में भी बापू के शिष्य सारी
"धार्मिक गतिविधियाँ "
उसी तरह से चला रहे हैं । दो चार दिन वहीं रहूंगी ।


अरे पगली ! बस तू भी ना !
ये ले पाँच हज़ार

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