कुम्हारन बैठी रोड़ किनारे,
लेकर दीये दो-चार,
जाने क्या होगा अबकी,
करती मन में विचार।।
याद करके आँख भर आई,
पिछली दीवाली त्योहार,
बिक न पाया आधा समान,
चढ गया सर पर उधार !
सोंच रही है, अबकी बार,
दूँगी सारे कर्ज उतार,
सजा रही है, सारे दीये
करीने से बार बार !
पास से गुजरते लोगों को
देखे कातर निहार,
बीत जाए न, अबकी दीवाली जैसा पिछली बार !
नम्र निवेदन मित्रों जनों से,
करता हुँ मैँ मनुहार,
मिट्टी के ही दीये जलाएँ,
दीवाली पर अबकी बार !
Quit spending on Chinese lighting..
Buy 'Made in India'!
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जाने क्या होगा अबकी,
करती मन में विचार।।
याद करके आँख भर आई,
पिछली दीवाली त्योहार,
बिक न पाया आधा समान,
चढ गया सर पर उधार !
सोंच रही है, अबकी बार,
दूँगी सारे कर्ज उतार,
सजा रही है, सारे दीये
करीने से बार बार !
पास से गुजरते लोगों को
देखे कातर निहार,
बीत जाए न, अबकी दीवाली जैसा पिछली बार !
नम्र निवेदन मित्रों जनों से,
करता हुँ मैँ मनुहार,
मिट्टी के ही दीये जलाएँ,
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