यमराज : चित्रगुप्त हर मानव का झूठ पकड़ने वाला यंत्र बनाओ ताकि झूठ बोले तो पता चले..!
चित्रगुप्त : ठिक है प्रभू...!!चित्रगुप्त ने हर मानव के नाम से अलग अलग घंटा बनवाया जो झूठ बोलने पर बजते थे...
दिन मे कभी कभार एक आध घंटा धीरे से बज जाता था पर रात मे ढेर सारे घंटे एक साथ जोर जोर से बजने लगे ...
....टन..टन टन ..टन टन टन .
यमराज :- चित्रगुप्त, ये क्या हो रहा है..? दिन मे इतना खामोश रहने वाले घंटे रात मे अचानक एक साथ ईतनी ज़ोर ज़ोर से क्यों बज रहे है..??
चित्रगुप्त : प्रभू..!!! पृथ्वी के सारे पति दिन का काम निपटा कर घर आ चुके हैं और इस समय वो अपनी पत्नियों के सवालों के जवाब दे रहे है...!
चित्रगुप्त : ठिक है प्रभू...!!चित्रगुप्त ने हर मानव के नाम से अलग अलग घंटा बनवाया जो झूठ बोलने पर बजते थे...
दिन मे कभी कभार एक आध घंटा धीरे से बज जाता था पर रात मे ढेर सारे घंटे एक साथ जोर जोर से बजने लगे ...
....टन..टन टन ..टन टन टन .
यमराज :- चित्रगुप्त, ये क्या हो रहा है..? दिन मे इतना खामोश रहने वाले घंटे रात मे अचानक एक साथ ईतनी ज़ोर ज़ोर से क्यों बज रहे है..??
चित्रगुप्त : प्रभू..!!! पृथ्वी के सारे पति दिन का काम निपटा कर घर आ चुके हैं और इस समय वो अपनी पत्नियों के सवालों के जवाब दे रहे है...!
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