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कल शाम मैं ऑफिस से घर जा रहा था।
रास्ते में मोड़ पर एक वृद्ध भिखारी ने आवाज़ दी।
सवेरे से भूखा हूँ बेटा,
कुछ दया करो।
मेरा दिल भर आया और मैंने अपने नास्ते के लिए रक्खा चिप्स का पैकेट बैग से निकालकर उस वृद्ध भिखारी को दे दिया और आगे बढ़ने लगा।
तभी भिखारी ने मुझे आवाज दी।
वैसे तो मुझे जल्दी थी पर उसके आवाज देने पर मैं रुक गया और पलटकर उसके पास आया।
वृद्ध भिखारी ने मुझे स्नेह से देखा और अंदर की चोर पाकेट से 140/-रुपये निकालकर मेरी हथेली पर धर दिए।
मैं हकबका कर बोला: बाबा ये क्या!
वृद्ध भिखारी ने ममतापूर्ण स्वर में कहा: बेटा! तुमने इतने प्यार से मुझे नमकीन का पैकेट दिया तो मेरा भी मूड बन गया।
बस सामने की वाइन शॉप से एक क्वार्टर ला दो।
भगवान् तुम्हारा भला करेंगे।।
कल शाम मैं ऑफिस से घर जा रहा था।
रास्ते में मोड़ पर एक वृद्ध भिखारी ने आवाज़ दी।
सवेरे से भूखा हूँ बेटा,
कुछ दया करो।
मेरा दिल भर आया और मैंने अपने नास्ते के लिए रक्खा चिप्स का पैकेट बैग से निकालकर उस वृद्ध भिखारी को दे दिया और आगे बढ़ने लगा।
तभी भिखारी ने मुझे आवाज दी।
वैसे तो मुझे जल्दी थी पर उसके आवाज देने पर मैं रुक गया और पलटकर उसके पास आया।
वृद्ध भिखारी ने मुझे स्नेह से देखा और अंदर की चोर पाकेट से 140/-रुपये निकालकर मेरी हथेली पर धर दिए।
मैं हकबका कर बोला: बाबा ये क्या!
वृद्ध भिखारी ने ममतापूर्ण स्वर में कहा: बेटा! तुमने इतने प्यार से मुझे नमकीन का पैकेट दिया तो मेरा भी मूड बन गया।
बस सामने की वाइन शॉप से एक क्वार्टर ला दो।
भगवान् तुम्हारा भला करेंगे।।
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