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Monday, 13 July 2015

Beautiful lines

मालूम नहीं कि किसने लिखा है, पर जिसने भी लिखा है क्या खूब लिखा है -

नफरतों का असर देखो,
जानवरों का बटंवारा हो गया,
गाय हिन्दू हो गयी ;
और बकरा मुसलमान हो गया.

मंदिरो मे हिंदू देखे,
मस्जिदो में मुसलमान,
शाम को जब मयखाने गया ;
तब जाकर दिखे इन्सान.
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं

सूखे मेवे भी ये देख कर हैरान हो गए
न जाने कब नारियल हिन्दू और
खजूर मुसलमान हो गए..

न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.

अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है......

में अमन पसंद हूँ ,मेरे शहर में दंगा रहने दो...
लाल और हरे में मत बांटो ,मेरी छत पर तिरंगा रहने दो....

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