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Wednesday, 13 May 2015

Gabbar is back

एक आदमी की कार पार्किंग से चोरी हो गयी. दो
दिन बाद देखा तो कार वापस उसी जगह पार्किंग में
ही खड़ी थी।
अंदर एक लिफाफा था उसमे एक माफीनामा था
"माँ की तबियत अचानक बिगड़ जाने से रातों रात
बड़े अस्पताल लेकर जाना आवश्यक था लेकिन इतनी
रात में और छुट्टियों के सीजन में गाडी मिली नहीं
इसकी वजह से आपकी गाड़ी को उपयोग में लाया।
आपको तकलीफ देने क लिये खेद है....गाडी में
जितना पेट्रोल था उतना ही है। आपको गाड़ी की
मदत के एवज में कल रात "गब्बर इज बैक" सिनेमा की
टिकेट्स आपके परिवार के लिए कार में रखी हैं. मुझे
बड़े दिल के साथ माफ़ करिये ...... ये विनती है
आपसे”…..
चिट्ठी में स्टोरी ओरिजिनल लगने से और गाड़ी
जैसी की तैसी वापस सही सलामत मिलने से परिवार
शांत ही गया। और दूसरे दिन "गब्बर इज बैक" देखने के
लिए पहुंचे (भीड़ इतनी ज्यादा इतनी थी की वहाँ
पर टिकेट्स ब्लैक में मिलना संभव नहीं था)
रात में घर पहुंचे घर का दरवाजा टूटा हुआ था अंदर
जाकर देखा तो सब कीमती सामान गायब था।
बाहर टेबल में एक लिफाफा था "फ़िल्म पसंद आयी
की नहीं??....


बाय द वे, गब्बर इज बैक...😜

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