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Tuesday, 5 May 2015

Frustrated Judge

पति पत्नी अदालत में तलाक का मुकदमा लड़ रहे होते हैं।

पर अदालत एक सवाल पर आकर एकमत नहीं हो पाती कि बच्चे का संरक्षण किसे दिया जाए।

अपनी दावेदारी साबित करने के लिए पत्नी कहती है," जज साहब मैंने नौ महीने तक बड़ी तकलीफें झेल कर इस बच्चे को अपनी कोख में रखा है इसलिए इस पर मेरा हक़ बनता है।

पत्नी की बात सुन जज पति की तरफ देखता है और पूछता है, "तुम कुछ कहना चाहते हो?"

जज की बात सुन पति अपनी कुर्सी से उठता है और कहता है, " जज साहब मैं कोलड्रिंक की मशीन में एक रुपया डालता हूँ और उसमें से एक बोतल कोलड्रिंक निकल कर आती है, तो बताइये की वो कोलड्रिंक किसकी हुई मेरी या मशीन की?

यह सुन कर पत्नी तपाक से जवाब देती है,
"जज साहब बर्तन मेरा... दूध भी मेरा ....और उसमे दही जमाने के लिए दो बूँद खट्टा डालने से दही बना तो दही किसका?

पत्नी की बात सुन पति जवाब देता है,"जज साहब टाईपराइटर में कागज़ मैंने डाला, बटन दबा-दबा कर मेहनत की मैंने, फिर चिठ्ठी किसकी मेरी या टाईपराइटर की?

दोनों की बात सुन सुन कर जज परेशान हो जाता है और झुंझला कर बोलता है," साले अगर तू चिठ्ठी हाथ से ही लिख लेता तो यह नौबत ही नहीं आती।...
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