पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट!
हास्य कविता .........
एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;
जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई;
तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;
मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर;
पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो;
मैंने कहा अब छोड़ यह धुन -
मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;
एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था;
पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था;
सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये का नोट ;
वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए;
मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;
कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;
फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा;
तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;
अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;
तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी;
सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी!
हास्य कविता .........
एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;
जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई -आदतानुसार हम पर चिल्लाई;
तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;
मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर;
पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो;
मैंने कहा अब छोड़ यह धुन -
मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;
एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था;
पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था;
सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये का नोट ;
वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए;
मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;
कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;
फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा;
तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;
अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;
तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी;
सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी!
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