हर भारतीय पत्नी जिंदगी में कम से कम एक बार तो अपने पति को ये उलाहना जरूर देती है.....
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"भगवान् का शुक्र करो कि मेरी जैसी सीधी-सादी पल्ले पड़ी है....कोई तेज-तर्रार मिलती ना..तो अक्कल ठिकाने आ जाती ".
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इसके बाद पति बेचारा पूरा दिन इसी डरावनी कल्पना में निकाल देता है कि अगर ये "सीधी-सादी" है तो फिर "तेज-तर्रार" कैसी होती होगी...?
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"भगवान् का शुक्र करो कि मेरी जैसी सीधी-सादी पल्ले पड़ी है....कोई तेज-तर्रार मिलती ना..तो अक्कल ठिकाने आ जाती ".
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इसके बाद पति बेचारा पूरा दिन इसी डरावनी कल्पना में निकाल देता है कि अगर ये "सीधी-सादी" है तो फिर "तेज-तर्रार" कैसी होती होगी...?
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