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Thursday, 12 March 2015

#Father #Son #Gita

पिता : ओ बेवकूफ़।
मैंने तुमको गीता दी थी पढ़ने के लिए क्या तुमने गीता पढ़ी ? कुछ। दिमाग मे घुसा।

पुत्र : हाँ पिताजी पढ़ ली।
और
अब
आप




मरने के लिए तैयार हो जाओ ( कनपटी पर तमंचा🔫रख देता है ) ।

पिता : बेटा ये क्या कर रहे हो ? मैं तुम्हारा बाप हूँ ।

पुत्र: पिताजी , ना कोई किसी का बाप है और ना कोई किसी का बेटा । ऐसा गीता में लिखा है ।

पिता : बेटा मैं मर जाऊंगा ।

पुत्र : पिताजी शरीर मरता है ।
आत्मा कभी नही मरती!
आत्मा अजर है, अमर है ।

पिता : बेटा मजाक मत करो गोली चल जाएगी और मुझको दर्द से तड़पाकर मार देगी ।

पुत्र : क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ? किससे तुम डरते हो ।
गीता में लिखा है-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि,
नैनं दहति पावकः
आत्मा को ना पानी भिगो सकता है और ना ही तलवार काट सकती, ना ही आग जला सकती ।
किसलिए डरते हो तुम ।

पिता : बेटा! अपने भाई बहनों के बारे में तो सोच, अपनी माता के बारे में भी सोच ।

पुत्र : इस दुनिया में कोई
किसी का नही होता ।
संसार के सारे रिश्ते स्वार्थों पर टिके है ।
ये भी गीता में ही लिखा है ।

पिता : बेटा मुझको मारने से तुझे क्या मिलेगा ?

बेटा : अगर इस धर्मयुद्ध में आप मारे गए तो आपको स्वर्ग प्राप्ति होगी ।
मुझको आपकी संपत्ति प्राप्त
होगी ।

पिता : बेटा ऐसा जुर्म मत कर ।

पुत्र : पिताजी आप चिंता ना करें।

जिस प्रकार आत्मा पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करती है, उसी प्रकार आप भी पुराने जर्जर शरीर को त्यागकर नया शरीर धारण करने की तयारी करें ।

अलविदा ।

Moral-
कलयुग की औलादों को सतयुग, त्रेतायुग या द्वापर युग की शिक्षा नहीं दे.

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